सऊदी अरब के इस फैसले से दुनियाभर के मुस्लिमों में खुशी की लहर | धार्मिक उद्देश्य से जाने वाले मुस्लिमों के लिए सऊदी अरब ने बड़ी राहत दी है। हज और उमराह मंत्रालय ने घोषणा करते हुए कहा कि जिन लोगों ने पर्यटक वीजा (टूरिस्ट वीजा) और वाणिज्यिक वीजा (कॉमर्शियल वीजा) लिया है, उन्हें अब सऊदी अरब में रहने के दौरान उमराह तीर्थ यात्रा करने की अनुमति दी जाएगी। यह सुविधा दुनिया भर के 49 देशों के नागरिकों के लिए उपलब्ध है। अगर किसी को उमराह करना है तो उसे पहले Eatmarna ऐप के जरिए अपॉइंटमेंट बुक करानी होगी।

सऊदी अरब के इस फैसले से दुनियाभर के मुस्लिमों में खुशी की लहर, जानिए क्या है फैसला

सऊदी गजट ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि लोग ‘विजिट सऊदी अरब’ पोर्टल के माध्यम से अपना वीजा ऑनलाइन हासिल कर सकते हैं या सऊदी हवाईअड्डों पर तुरंत पहुंचने पर अपना वीजा ले सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि चाहे कोई टूरिस्ट वीजा से आया हो या बिजनेस वीजा से, अब सभी तरह के वीजा पर उमरा करने की अनुमति दे दी गई है। इससे पहले उमराह के लिए स्पेशल वीजा लेना पड़ता था। इसमें कम से कम एक महीने समय लग जाता था।

इस साल नए उमराह सीजन के दौरान सऊदी ने ये घोषणा की है। इसका उद्देश्य दुनिया भर में मुसलमानों की सबसे बड़ी संख्या के लिए स्वतंत्र रूप से और आसानी से उमराह करने का रास्ता खोलना है। मंत्रालय ने कहा कि जो लोग उमराह करने के योग्य हैं, उनमें यूएस, यूके और शेंगेन वीजा धारक भी शामिल हैं। सऊदी अरब के इस फैसले का उद्देश्य ‘सऊदी मिशन 2030’ को आगे बढ़ाना है। इसके मुताबिक हर साल 3 करोड़ लोगों को उमराह कराना है।

क्या है उमरा

उमरा एक तरह की धार्मिक यात्रा ही है, जो हज से थोड़ा अलग है लेकिन इसे कोई भी कर सकता है। इस यात्रा की अवधि सिर्फ 15 दिनों की होती है। सबसे खास बात है कि सऊदी में जब हज कराया जाता है तो उस समय उमरा नहीं किया जा सकता है। उमरा सिर्फ हज के दिनों को छोड़कर ही किया जाता है. उमरा के दिनों में यात्री करीब आठ दिन मक्का और सात दिन मदीना में समय लगाते हैं और धर्म अनुसार कार्यों को पूरा करते हैं।

हज और उमरा में कितना अंतर है ? 

हज और उमरा, दोनों ही इस्लामिक तीर्थ यात्रा के रूप हैं लेकिन इन्हें करने का तरीका थोड़ा अलग है। हज एक मुसलमान पर फर्ज होता है। यानी अगर कोई इंसान अगर इस्लाम को मानता है तो उसे अपने जीवन में एक बार हज जरूर करना होता है।

अधिकतर लोग उम्र के आखिरी पड़ाव पर ही हज के लिए जाते हैं लेकिन नियम के अनुसार बालिग होते ही लड़का या लड़की पर हज फर्ज हो जाता है। हालांकि, हज के लिए इंसान शारीरिक, दिमागी और पैसे से भी मजबूत होना चाहिए। साथ ही जिस देश से वह सऊदी जा रहा है, वहां हज करने के बाद अपने देश वापस आने का खर्च उठाने की हैसियत रखता हो।

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उमरा इसलिए है हज से अलग 

वहीं अगर उमरा की बात करें तो ये हज से थोड़ा अलग है। खास बात है कि ये इस्लाम में फर्ज नहीं बल्कि सुन्नत है। यानी हज को जाना एक मुस्लिम के लिए जरूरी होता है लेकिन उमरा पर जाना उसकी अपनी इच्छा और हैसियत पर निर्भर करता है। अगर वह इतना काबिल है कि अपने देश से सऊदी अरब जाकर उमरा का खर्चा उठा सकता है तो वह उमरा पर जा सकता है।

एक तरह से देखें तो उमरा पर मुस्लिम लोग अपने ईमान को ताजा करने और खुदा से माफी मांगने के लिए जाते हैं। इस्लाम में ऐसा कहा जाता है कि उमरा करने से एक मुसलमान के गुनाह धुल जाते हैं और पाक-साफ होकर अपने घर लौटता है।

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अगर कोई मुसलमान उमरा का खर्च नहीं झेल सकता है तो उसके लिए ये करना वाजिब नहीं है। हज सिर्फ कुछ खास दिनों के अंदर ही करना होता है लेकिन उमरा के लिए बाकी किसी भी महीने जाया जा सकता है। ऐसे में अब जो सऊदी सरकार ने फैसला किया है, उससे उमराह प्रक्रिया और ज्यादा आसान हो जाएगी और भारत से काफी संख्या में लोग उमराह के लिए पहुंचेंगे।

By Biharkhabre Team

मेरा नाम शाईना है। मैं बिहार के भागलपुर कि रहने बाली हूं। मैंने भागलपुर से MBA की पढ़ाई कंप्लीट की हूं। मैं Reliance में कुछ समय काम करने के बाद मैंने अपना खुद का एक ब्लॉग बनाया। जिसका नाम बिहार खबरें हैं, और इस पर मैंने देश-दुनिया से जुड़े अलग-अलग विषय में लिखना शुरू किया। मैं प्रतिदिन देश दुनिया से जुड़े अलग-अलग जानकारी अपने Blog पर Publish करती हूं। मुझे देश दुनिया के बारे में नई नई जानकारी लिखना पसंद है।

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