Foil paper ke nuksan : खाना बर्बाद करने को लेकर अब लोगों में सोच बदलने लगी है। अब लोग बचे हुए खाने को स्टोर करके रखना सीख गए हैं पर आज भी अधिकतर लोगों को सही से ये नहीं पता है कि रात के बचे खाने को सुबह के लिए या सुबह के बचे खाने को रात के लिए कैसे स्टोर करना है। ऐसे में हमें बचे हुआ खाना और इसके फूड सेफ्टी नियमों (Leftovers and Food Safety) के बारे में पता होना चाहिए। फूड स्टोरेज का नाम लेते ही एक सामान्य सी चीज जो हमारे मन आती है, वो ये है कि एल्युमिनियम फॉयल (aluminium foil) का इस्तेमाल। हम में से कई लोगों को ये मालूम ही नहीं है कि एल्युमिनियम फॉयल में खाना पैक करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक (Foil paper ke nuksan) भी हो सकता है। तो आइए जानते हैं कि ऐसा क्यों है और हमें बचे हुए खाने को असल में कैसे पैक (guide to leftovers) करना चाहिए।

Foil paper ke nuksan

कैसे बनता है एल्युमिनियम फॉयल

जिस चीज में खाना रैप करके आप घंटों तक रखते हैं उसके बारे में ये पता होना तो जरूरी है कि आखिर वो बनता कैसे है। दरअसल एल्युमिनियम फॉयल में प्योर एल्युमिनियम नहीं होता बल्कि इसमें एलॉय वाले एल्युमिनियम यानी मिक्स मेटल का उपयोग किया जाता है। एल्युमिनियम फॉयल बनाने के लिए सबसे पहले इसे पिघलाया जाता है और एक खास तरह की मशीन में इससे बनाकर तैयार किया जाता है जिसे रोलिंग मिल कहते हैं। इस मशीन का प्रेशर 0.01% होता है। अब इसे कोल्ड रोलिंग मिल में डाला जाता है। ठंडा होने के बाद इसे पतला किया जाता है और इस पर मेटल की परत चढ़ाई जाती है, जिससे ये हार्ड एल्युमिनियम पतली नजर आने लगती है।

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एल्युमिनियम फॉयल सेहत के लिए नुकसानदेह (Foil paper ke nuksan)

  • एल्युमिनियम फॉयल में खाना बनाना या पैक करना आपकी सेहत के लिए ठीक नहीं है। कुछ शोधों में इस बात का खुलासा भी हुआ है कि एल्युमिनियम दिमाग के विकास को प्रभावित (Side effects of aluminium foil) कर सकता है। जिन लोगों को हड्डियों से संबंधित बीमारियां पहले से है, उनके लिए तो यह और भी ज्यादा नुकसानदेह है।
  • वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक, फॉयल में पका खाना जरूरत से ज्‍यादा एल्युमिनियम खींच लेता है। मसालेदार खाने के लिए तो यह और भी ज्यादा  हानिकारक (Aluminum foil side effects) है।
  • कुछ शोध कहते हैं, यदि हमारे शरीर में एल्युमिनियम की मात्रा बढ़ जाए, तो इसका गंभीर प्रभाव हमारे दिमाग पर पड़ता है। इससे दिमाग की कोशिकाओं की वृद्धि रुक जाती है, जिसके कारण भूलने संबंधी समस्या, सोचने-समझने की शक्ति का कमजोर होना जैसी परेशानी हो सकती है।
  • शरीर में एल्युमिनियम की बढ़ती मात्रा से हड्डियों का कमजोर होना, रोग प्रतिरोधक क्षमता का कम होना जैसी परेशानी भी (Foil paper ke nuksan) हो सकती हैं। अल्जाइमर रोग का बड़ा कारण भी एल्युमिनियम ही है।
  • भोजन में इसकी बढ़ती मात्रा से किडनी की समस्या, ऑस्टियोपोरोसिस, डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है। खट्टे खाद्य पदार्थ को एल्युमिनियम फॉयल में रखने से बचें। खट्टे फल या खाद्य पदार्थ फॉइल में रखने से उनका केमिकल बैलेंस बिगड़ जाता है और चीजें जहरीली हो सकती हैं।
  • बच्चों को तो इसमें बिल्कुल भी खाना पैक करके नहीं देना चाहिए। क्योंकि यदि खाना खाते हुए इसका छोटा सा भी हिस्सा अंदर चला जाए, तो कैंसर तक के होने का खतरा रहता है। ज्यादा गर्म खाने को एल्युमिनियम फॉयल में लपेटने से ये पिघलने लगता है, जिससे इसके तत्व खाने में मिल जाते हैं। कभी भी बचे हुए खाने को एल्युमिनियम फॉयल में पैक न करें।

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क्या कहती है रिसर्च

एनसीबीआई की एक रिसर्च के मुताबिक यदि हम एल्युमीनिय फॉइल का प्रयोग ज्यादा करते हैं, तो उससे न्यूरोपैथोलॉजिकल प्रतिक्रियाओं के लिए उच्चतम जोखिम की संभावना रहती है। इस शोध से पता चलता है कि खाना पकाने के लिए भी एल्युमिनियम फॉयल का इस्तेमाल नहीं करना (Aluminium foil disadvantage) चाहिए। इसकी बजाय पके हुए भोजन को कांच या चीनी मिट्टी के बरतनों में स्टोर करना ज्यादा सुरक्षित है।

विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खाना ठंडा होने के बाद आप चाहें तो एल्युमिनियम फॉइल में लपेट सकती हैं पर कुछ समय के लिए। हर भोजन की एक निश्चित शेल्फ लाइफ होती है, इसके बाद वे अपने आसपास के वातावरण से बैक्टीरिया एब्जॉर्ब करना शुरू कर देता है। आपके भोजन में मौजूद तेल और मसाले एल्यूमीनियम के साथ प्रतिक्रिया करना शुरू कर देते हैं। जिसका असर आपकी सेहत पर पड़ता है।

तो कैसे करें बचे हुए खाने को स्टोर (How To Store Left Over food)

एयर-टाइट कंटेनर में खाना पैक कर के रखें

भोजन को एयर-टाइट कंटेनर में पैक करें। कंटेनरों की कठिन सील यह सुनिश्चित करती है कि कुछ भी बॉक्स से प्रवेश या लीक न हो। इसके अलावा, एयर-टाइट कंटेनरों में भोजन का भंडारण भी कूलिंग प्रक्रिया को तेज करने में मदद करता है और बैक्टीरिया को आपके भोजन से दूर रखता है।

कांच के कंटेनर का इस्तेमाल 

पहले तो भोजन स्टोर करने के लिए प्लास्टिक का इस्तेमाल करने से बचें पर जब भी भोजन को लपेटने के लिए प्लास्टिक का उपयोग कर भी रहे हैं,  तो यह बहुत उच्च गुणवत्ता का होता है। वहीं कोशिश करें कि बचे हुए खाने को कांच के कंटेनरों में रख कर स्टोर करें। ये एक तो ठंडा या गर्म दोनों ही चीजों को रखने के लिए फायदेमंद होता है। दूसरी बात ये आप इसमें मलिनकिरण या ऑक्सीकरण (discoloration or oxidization) के डर के बिना दूसरों कच्ची सब्जियां, फल, पोल्ट्री, समुद्री भोजन और रोटी व आटा स्टोर कर सकते हैं। आप इस विधि को अपनाकर अपनी रसोई में भोजन की बर्बादी को काफी कम कर सकते हैं। इसके अलावा, तंग प्लास्टिक में या ऐसे कंटेनर में खाना स्टोर करने से बचें।

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खाने को फ्रिज में रखना सबसे अच्छा विकल्प है

भोजन को फ्रीज करना इसकी दीर्घायु सुनिश्चित करने का सबसे अच्छा तरीका है। ये इसलिए क्योंकि जब आप भोजन को फ्रिज में स्टोर करते हैं, तो ये भोजन को खराब करने वाले सूक्ष्म जीव ठंड के तापमान पर निष्क्रिय हो जाते हैं और खाद्य पदार्थों को नुकसान नहीं पहुंचा सकते। इस तरह ठंड खाना स्टोर करने के लिए फायदेमंद है। वहीं फ्रिज में भी स्टोर करने के लिए घटिया गुणवत्ता वाले प्लास्टिक में स्टोर करने से बचें और कोशिश करें कि उन्हें कांच के बर्तनों में डाल कर स्टोर करें।

By Biharkhabre Team

मेरा नाम शाईना है। मैं बिहार के भागलपुर कि रहने बाली हूं। मैंने भागलपुर से MBA की पढ़ाई कंप्लीट की हूं। मैं Reliance में कुछ समय काम करने के बाद मैंने अपना खुद का एक ब्लॉग बनाया। जिसका नाम बिहार खबरें हैं, और इस पर मैंने देश-दुनिया से जुड़े अलग-अलग विषय में लिखना शुरू किया। मैं प्रतिदिन देश दुनिया से जुड़े अलग-अलग जानकारी अपने Blog पर Publish करती हूं। मुझे देश दुनिया के बारे में नई नई जानकारी लिखना पसंद है।

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