Parsi New Year 2022: आज पारसी समुदाय नवरोज यानी नए साल का जश्न मना रहा है। नवरोज को पारसी न्यू ईयर भी कहा जाता है। पारसी समुदाय के लोगों के लिए नवरोज का पर्व आस्था का प्रतीक माना जाता है। इस दिन को पारसी समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जिस तरह से हिंदू समाज में चैत्र माह से नए साल कि शुरुआत होती है, ठीक उसी तरह नवरोज से पारसी समाज में नए साल का उदय होता है। नवरोज दो पारसी शब्दों नव और रोज से मिलकर बना है, जिसका अर्थ है- नया दिन। यानी कि नवरोज के त्योहार के साथ पारसी समुदाय के नए साल की शुरुआत होती है। इस दिन से ही ईरानी कैलेंडर की भी शुरुआत होती है। पारसी समुदाय के नव वर्ष को पतेती, जमशेदी नवरोज, नौरोज़ और नवरोज जैसे कई नामों से जाना जाता है। तो चलिए आज इसके इतिहास और परंपरा के बारे में जानते हैं…
अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार वैसे तो एक साल में 365 दिन होते हैं, लेकिन पारसी समुदाय के लोग 360 दिनों का ही साल मानते हैं। बाकी साल के आखिरी पांच दिन गाथा के रूप में मनाए जाते हैं। यानी इन पांच दिनों में परिवार के सभी लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं। नवरोज का उत्सव पारसी समुदाय में पिछले तीन हजार साल से मनाया जाता रहा है।
Parsi New Year 2022 का सूर्य से भी है संबंध
दरअसल, पारसी कैलेंडर और तारीख के अनुसार वसंत विषुव का दिन नवरोज का दिन कहलाता है। वसंत यानी वसंत ऋतु और विषुव के दो अर्थ हैं, एक तो विषुवत रेखा और दूसरा बीसवां दिन। ईरान यानी कि जहां से प्रचलित मान्यताओं में पारसी धर्म सामने आया वहां यह मानते हैं कि जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर चमकने लगती हैं तो नवरोज का त्योहार आता है।
कई नामों से जाना जाता है नवरोज
नवरोज एक फारसी शब्द है, जो नव और रोज से मिलकर बना है। नवरोज में नव का अर्थ होता है- नया और रोज का अर्थ होता है दिन। इसलिए नवरोज को एक नए दिन के प्रतीक के रूप में उत्सव की तरह मनाया जाता है। ईरान में नवरोज को- ऐदे नवरोज कहा जाता है। दुनिया भर में करीब 300 मिलियन से ज्यादा लोग नवरोज को उत्साह और उमंग के साथ मनाते हैं। पारसी न्यू ईयर को जमशेदी नवरोज, नवरोज, पतेती और खोरदाद साल के नाम से भी जाना जाता है। हालांकि ये त्योहार साल में दो बार मनाया जाता है। इसे 16 अगस्त और 21 मार्च को, छमाही और वार्षिक के तौर पर मनाया जाता है।