विवाह एक पवित्र रिश्ता माना जाता है। कहा जाता है कि पति-पत्नी को एक दूसरे के साथ हर बात साझा करनी चाहिए। आपने देखा होगा कि पत्नियाँ अपने पतियों के फोन की जांच करती हैं। उनके फोन का पासवर्ड, सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड और व्हाट्सएप जैसे ऐप्स को वे बिना पतियों की सहमति के देख लेती हैं। कई पतियों को भी अपनी पत्नियों के फोन की जांच करने की आदत होती है। पति-पत्नियों को ऐसा लगता है कि यह उनका अधिकार है।
दोनों के बीच कोई राज नहीं होना चाहिए। शादीशुदा हो जाने के बाद उन्हें अपने पति या पत्नी के फोन को चेक करने से पहले उनकी अनुमति लेने की जरूरत नहीं है। मगर क्या यह बात कानून की नजर में सही है? क्या हम बिना अपने पति या पत्नी की सहमति के उनके फोन की जांच कर सकते हैं? आज हम इन सभी प्रश्नों का उत्तर इस लेख के माध्यम से देने का प्रयास करेंगे।
क्या है निजता का अधिकार
आर्टिकल 21 के अंतर्गत, हमें निजता का अधिकार प्राप्त होता है। इस अधिकार के अनुसार, हमें अपनी व्यक्तिगत जानकारी, संचार और अन्य निजी मामलों की गोपनीयता का पूरा अधिकार होता है। बता दें कि निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है। किसी भी व्यक्ति को अपनी इच्छा से अपनी बातें या निजी जानकारी किसी दूसरे व्यक्ति के सामने रखने का अधिकार होता है। यदि उसे इच्छा नहीं होती है, तो वह अपनी बातें सीक्रेट रखने का पूरा अधिकार रखता है।
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