पटना: ट्रांसजेंडर भी अब बिहार में पुलिस कांस्टेबल और दारोगा बन सकेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग ने इसको लेकर संकल्प जारी करते हुए किन्नरों, ट्रांसजेन्डर को बिहार पुलिस में सीधी नियुक्ति (Bihar Police Recruitment) का रास्ता साफ कर दिया है। बिहार पुलिस में होगी किन्नरों की सीधी नियुक्ति । सिपाही और दारोगा (Bihar Police SI) की परीक्षा में ये किन्नर बैठ सकेंगे और थानों की कमान भी संभाल सकेंगे। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुए बैठक में यह फैसला लिया गया था जिसमे गृह सचिव सेंथिल कुमार, और सामान्य प्रशासन विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद, अपर सचिव महेंद्र कुमार, भी शामिल थे।
500 पदों पर एक ट्रांसजेंडर की होगी भर्ती
सामान्य प्रशासन विभाग ने संकल्प जारी करते हुए बताया है कि किन्नरों, ट्रांसजेंडर को बिहार पुलिस में निकलने वाले सिपाही और दारोगा के भर्ती में हर 500 पदों पर एक ट्रांसजेंडर की सीधी भर्ती हो सकेगी। ट्रांसजेंडर को संकल्प के मुताबिक पिछड़ा वर्ग अनुसूची 2 के तहत शामिल किया गया है। नियुक्ति के समय अगर योग्य ट्रांसजेंडर नहीं मिल सके तो इस कोटा को पिछड़ा वर्ग के सामान्य कैंडिडेट्स को भरा जाएगा। सरकारी नियुक्ति में किन्नरों को आरक्षण देने के मुद्दे पर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। बैठक में गृह विभाग व सामान्य प्रशासन विभाग के अधिकारी भी शामिल रहे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, संकल्प के मुताबिक ट्रांसजेंडर को पिछड़ा वर्ग अनुसूची 2 के तहत शामिल किया गया है। अगर नियुक्ति के समय इन पदों पर योग्य व पात्र किन्नर उम्मीदवार नहीं मिलेंगे तो ये पद खाली नहीं रहेंगे बल्कि पिछड़ा वर्ग के सामान्य उम्मीदवार से इस कोटे को भरा जा सकेगा।
ट्रांसजेंडरों को क्या-क्या देना होगा प्रमाण पत्र
बिहार पुलिस में भर्ती के लिए सभी को ट्रांसजेंडर होने का प्रमाण पत्र देना होगा। सभी अभ्यर्थी बिहार के मूल निवासी होने चाहिए। इसके लिये आवासीय प्रमाण पत्र भी देना होगा। सभी अभ्यर्थी की शारीरिक दक्षता परीक्षा का मापदंड महिला अभ्यर्थियों के समान ही होगा। गौरतलब है कि 2001 की जनगणना के मुताबिक बिहार में ट्रांसजेंडर जी जनसंख्या 41 हजार के लगभग है।
बता दें कि बिहार में ट्रांसजेंडरों को समाज के मुख्य धारा से जोड़ने के लिए सरकार लगातार पहल कर रही है. वहीं पुलिस की भर्ती में ट्रांसजेंडर को प्रोत्साहित कर मौका देने के मामले में अदालत भी गंभीर रही है। याद दिलाते चलें कि वर्ष 2020 में पटना हाइकोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया था कि सिपाही भर्ती परीक्षा के फॉर्म में ट्रांसजेंडरों का कॉलम क्यों नहीं है?
गौरतलब है कि बिहार में पिछली बार हुए जनगणना के मुताबिक, बिहार में करीब 40 हजार से अधिक ट्रांसजेंडर हैं। वहीं बिहार के अलावा कई अन्य राज्यों में भी ट्रांसजेंडरों को पुलिस में तैनाती के लिए मौका दिया जाता रहा है। केरल, तमिलनाडु, राजस्थान, छतीसगढ़ और ओडिशा इसका बड़ा उदाहरण पेश करता है।