अर्थशास्त्री बताते हैं कि कोई भी देश अपनी मर्जी से नोट नहीं छाप सकता है. नोट छापने के लिए नियम हैं. अगर ढेर सारे नोट छपने लगें तो अचानक हर किसी के पास ज्यादा पैसा आ जाएगा. ऐसे में लोगों की जरूरतें बढ़ जाएंगी, लेकिन सप्लाई सामान्य यानी उतनी ही रहेगी. ऐसा होने से बाजार में महंगाई सातवें आसमान पर पहुंच जाएगी.
दुनिया के जिन देशों की सरकारों ने ऐसा किया उनके नागरिक आजतक रो रहे हैं. ऐसे कई केस सामने आ चुके हैं. जिम्बाब्वे ने एक समय बहुत सारे नोट छापकर ऐसी गलती की थी. इससे वहां की करेंसी की वैल्यू इतनी गिर गई कि लोगों को ब्रेड और अंडे जैसी बुनियादी चीजें खरीदने के लिए भी थैले भर-भरकर नोट दुकान पर ले जाने पड़ते थे.
RBI मिनिमम रिजर्व सिस्टम के आधार पर नोट छापता है जिसमें RBI को नोट छापने के लिए न्यूनतम 200 करोड़ की राशि रिजर्व करनी पड़ती है. यह राशि सोना व विदेशी मुद्रा के रूप में होती है. ज्यादा नोट छापने में खर्च भी ज्यादा होता है. अगर ये न्यूनतम राशि नियंत्रित न हो तो अर्थव्यवस्था पर संकट आ सकता है.