केंद्रीय कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट DICGC संशोधन बिल को मिली मंजूरी मंजूरी। इस बिल को मंजूरी मिलने के बाद बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी। डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर यह रकम मिल जाएगी। अभी ग्राहकों की बैंक में जमा एक लाख रुपए तक की रकम ही सुरक्षित होती है।
हालांकि सरकार 2020 में ही डिपॉजिट इंश्योरेंस की लिमिट 5 गुना बढ़ाने का ऐलान कर चुकी थी, लेकिन इसे कैबिनेट की मंजूरी अब मिली है। अभी इसे संसद की मंजूरी मिलना बाकी है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा है कि बिल को संसद के मानसून सत्र में ही पेश किया जाएगा।
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पीएमसी यानी पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (PMC), लक्ष्मी विलास बैंक, येस बैंक और कई अन्य सहकारी बैंकों के ग्राहक आज भी अपने पैसों के लिए परेशान हैं। बैंकों के डूबने की स्थिति में निवेशकों को पैसा डूब जाने का खतरा रहता है। लेकिन भविष्य में ऐसी स्थिति में बैंक डिपॉजिटर्स को कोई परेशानी नहीं होगी। बैंक डूब जाने पर भी उन्हें 3 महीने के अंदर उनका पैसा वापस मिल जाएगा।
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DICGC संशोधन बिल को मिली मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को हुई बैठक में इस संबंध में बड़ा फैसला लेते हुए DICGC एक्ट में बदलाव को मंजूरी दे दी है। संसद के मौजूदा सत्र में ही इस बिल को सदन में रखा जाएगा। इस बिल के पास होते ही कानून में हुए बदलाव को मान्यता मिल जाएगी और बैंक ग्राहकों को भविष्य में टेंशन लेने की जरूरत नहीं होगी।
DICGC संशोधन बिल को मिली मंजूरी, 5 लाख तक की रकम ही सुरक्षित
डिपॉजिट इंश्योरेंस के तहत, ग्राहक के कुल 5 लाख रुपए ही सुरक्षित होते हैं। अगर ग्राहक का एक ही बैंक की कई ब्रांच में अकाउंट है, तो सभी अकाउंट में डिपॉजिट अमाउंट और ब्याज जोड़कर 5 लाख तक की रकम ही सुरक्षित मानी जाएगी। इसमें मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होंगे।
बैंक के सभी डिपॉजिट DICGC के दायरे में
बैंक के सभी डिपॉजिट DICGC के दायरे में आते हैं, जिसमें सेविंग्स, फिक्स्ड डिपॉजिट समेत करेंट अकाउंट शामिल हैं। किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय DICGC उन्हें प्रिंट हुआ पर्चा देता है। पर्चे में जमाकर्ताओं को मिलने वाले इंश्योरेंस की डीटेल होती है। इस डीटेल के बारे में जानने के लिए जमाकर्ता बैंक के ब्रांच अधिकारी से पूछताछ कर सकता है।
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लगने वाला प्रीमियम भी 10 पैसे से बढ़कर 12 पैसे हो गया
इंश्योरेंस कवर बढ़ने के साथ बैंक ग्राहकों को तो फायदा हुआ है, लेकिन दूसरी तरफ प्रति 100 रुपए पर लगने वाला प्रीमियम भी 10 पैसे से बढ़कर 12 पैसे हो गया है। डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन यानी DICGC, रिजर्व बैंक की स्वामित्व वाली एक संस्था है, जो बैंक डिपॉजिट पर इंश्योरेंस कवर मुहैया कराती है।
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लोगों का भरोसा बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ेगा
गारंटी राशि बढ़ाने पर बैंकों में लोग गारंटी राशि के बराबर पैसा जमा कराने को लेकर परेशान नहीं होंगे, जिससे लोगों का भरोसा भी बैंकिंग सिस्टम पर बढ़ेगा। नतीजतन, सेविंग बढ़ने से बैंक ज्यादा कर्ज दे सकेंगे।