चंडीगढ़: यूटी सचिवालय के तीन हेरिटेज फर्नीचरों (Chandigarh Heritage Furniture) की नीलामी एक जुलाई को फ्रांस के एक नीलामी घर में होने जा रही है। इनमें एडवोकेट कुर्सी, आर्म चेयर और एक डेस्क शामिल हैं। इन तीनों फर्नीचरों की अनुमानित कीमत 75 लाख से एक करोड़ रुपये आंकी गई है। इस साल की यह 12वीं नीलामी है। छह महीने में 12 नीलामी हो चुकी हैं।
नीलामी के खिलाफ आवाज उठाने वाले चंडीगढ़ हेरिटेज प्रोटेक्शन सेल के मेंबर और एडवोकेट अजय जग्गा ने इसकी शिकायत विदेश मंत्री एस. जयशंकर से की है। फ्रांस में भारत के राजदूत जावेद अशरफ और इंडियन एंबेसी पेरिस में फर्स्ट सेक्रेटरी अविनाश कुमार सिंह और सेकेंड सेक्रेटरी नमन उपाध्याय को भी शिकायत भेजी गई है।
चंडीगढ़ की धरोहर विदेश में कैसे पहुंच रही
अजय जग्गा ने बताया कि उन्होंने इस नीलामी की अग्रिम सूचना दी है ताकि स्थानीय पुलिस की सहायता से नीलामी को रोकने का प्रयास किया जा सके। उन्होंने कहा कि शहर के हेरिटेज फर्नीचरों की नीलामी को रोकने के साथ ही इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए कि ये हेरिटेज फर्नीचर आखिरकार देश से बाहर पहुंच कैसे रहे हैं। जो भी फर्नीचर की तस्करी में शामिल है, उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी भी चंडीगढ़ के हेरिटेज फर्नीचर की नीलामी को नहीं रोक पाया है। तस्कर इस महामारी में भी शहर की विरासत को नीलाम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक अध्ययन के मुताबिक, हर साल अलग-अलग देशों में अरबों रुपये के विरासती वस्तुओं की नीलामी होती है। प्रत्येक नागरिक का फर्ज है कि वह हेरिटेज फर्नीचर की तस्करी व नीलामी को रोकने के लिए प्रयास करे।
गृह मंत्रालय ने 22 फरवरी, 2011 को जारी किए गए आदेशों में इस तरह की किसी भी आइटम को सरहद पार भेजने पर रोक लगा रखी है। जांच एजेंसियों को तुरंत देखना चाहिए कि आखिर रोक के बाद भी यह आइटम पेरिस कैसे पहुंच गए। यह ऑक्शन हाउस में कैसे पहुंच गई। जो आइटम नीलाम हो रही हैं, यह सभी चंडीगढ़ के क्रिएटर ली कार्बूजिए के कजिन पियरे जेनरे ने डिजाइन की थी। सबसे बड़ी बात यह है कि यह दोनों ही फ्रांस के नागरिक थे।
Chandigarh Heritage Furniture, इन सभी आइटम की होगी नीलामी
एक्स शेप की टेबल या डेस्क, ईजी आर्मचेयर, एडवोकेट चेयर इन आइटम में शामिल हैं। इनका रिजर्व प्राइज नीलाम घर ने तय किया है। एक-एक आइटम कई लाख रुपये की है। ग्लोबल ऑक्शन के जरिए इन्हें सेल किया जा रहा है। इस तरह की आइटम को सहेजने के लिए यूटी प्रशासन म्यूजिमय बना रहा है। साथ ही इन पर टैग लगाने की योजना भी बनी थी। लेकिन अभी तक इनकी गणना होने के साथ टैग नहीं लग सके। सबसे अधिक फर्नीचर पंजाब यूनिवर्सिटी का नीलाम होता है।