पटना: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने नीतीश सरकार की पोल खोलकर रख दिया है। गुरुवार को बिहार विधानसभा पटल पर रखे गए CAG रिपोर्ट (CAG Report On Bihar) से कई खुलासे हुए हैं। CAG ने अप्रैल 2018 से फरवरी 2020 तक में 629 मामलों का पता लगाया है, जिसमें सरकार को 3658.11 करोड़ रुपए राजस्व की हानि हुई है। नीतीश सरकार ने स्वीकार किया है कि अप्रैल 2018 से फरवरी 2020 तक 1336.65 करोड़ के राजस्व का नुकसान हुआ है।
CAG Report On Bihar लापरवाही उजागर
लेखा परीक्षक ने 629 मामलों में 3658.11 करोड़ के राजस्व हानि का पता लगाया है। संबंधित विभागों ने 1648 मामलों में 1336.65 करोड़ के अवनिर्धारण व अन्य त्रुटियों को स्वीकार किया है। इसमें से 366.27 करोड़ के 55 मामले 2018-19 के दौरान तथा शेष पूर्ववर्ती वर्षों में इंगित किए गए थे। सरकारी विभागों ने 196 मामलों में 8.90 करोड़ की वसूली अप्रैल 2018 व अप्रैल 2020 के मध्य किया।
वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए बिहार सरकार की कुल प्राप्ति 131793.45 करोड़ थी। जिसमें से राज्य सरकार के स्रोत से 33538.70 करोड़ यानी 25.45% था। भारत सरकार से प्राप्ति का हिस्सा 98254.75 करोड़ यानी कुल प्राप्ति का 74.55% था। जिसमें से संघीय करो में राज्य का हिस्सा 73603.13 करोड़ यानी कुल प्राप्ति का 55.85% और सहायता अनुदान 24651.62 करोड़ यानी कुल प्राप्ति का 18.70% था।
CAG ने वित्तीय वर्ष 2018-19 की रिपोर्ट में कई विभागों में अनियमितता को दर्शाया है। जारी रिपोर्ट के अनुसार, 2014 से 2019 के बीच 26 से 36 फीसदी लोगों ने मनरेगा के लिए काम मांगा, लेकिन महज 1 से 3 फीसदी मनरेगा मजदूरों को 100 दिन का रोजगार मिला है।
इंडो-नेपाल बॉर्डर पर बनने वाले रोड 5 साल में केवल 24 किमी बनी
रिपोर्ट में इंडो-नेपाल बॉर्डर बनने वाले रोड का भी निर्माण कछुए की चाल से हो रहा है। CAG की ओर से वित्तीय वर्ष 2018-19 पर जारी रिपोर्ट में महालेखाकार ने कहा है कि इंडो-नेपाल बॉर्डर पर 5 साल में केवल 24 किमी सड़क की निर्माण हुआ है। जबकि, 31 पुलों का एप्रोच पथ भी अब तक नहीं बना है। 800 करोड़ के बदले भूमि अधिग्रहण का बजट 2200 करोड़ हुआ है। वहीं, पिछले 10 साल में सशस्त्र सीमा बल के लिए 64 फीसदी सीमा की चौकियां संरेखण से नहीं जुड़ पाई। जो SSB की गतिशीलता को प्रभावित कर रहे हैं।
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CAG ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि सार्वजनिक क्षेत्र की कुल 79 सरकारी कंपनियों और निगमों में से 75 कंपनियों के 1321 लाख रुपये बकाया है। बिहार स्कूटर लिमिटेड का 1977-78 से बकाया लंबित चला आ रहा है। इसके अलावा बिहार राज्य वित्त निगम, बिहार राज्य भंडारण निगम और बिहार राज्य पथ निगम का अलग लेखा परीक्षा प्रतिवेदन अब तक विधानमंडल में पेश नहीं किया गया है।