कृषि से जुड़े युवा या वे लोग जो कोई कम लागत का व्यवसाय करने की इच्छा रखते हैं। उनके लिए मधुमक्खी पालन का स्वरोजगार फायदेमंद साबित हो सकता है। कृषि विभाग व सरकार के तरफ से कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। जिसको अपना कर किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। इसी प्रकार कृषि विभाग मधुमक्खी पालन के लिए किसानों को प्रेरित कर रही है।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय

यदि कृषि जगत के आंकड़े पर नजर डाली जाए तो लगभग 40 फ़ीसदी किसान अपने व्यवसाय से संतुष्ट नहीं है। बीजों, रासायनिक खादों के बढ़ते मूशल्य, फसलों के समर्थन मूल्य का कम होना आदि ऐसे कई कारण हैं जिनसे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है। ऐसी स्थिति में जरूरी हो जाता है कि वह एक ऐसी व्यवसाय अथवा रोजगार करें। जिससे उन्हें खेती के साथ-साथ अतिरिक्त आमदनी हो।

मधुमक्खी पालन व्यवसाय

जानकारी के अनुसार जिला रजौरी में कृषि विभाग द्वारा मधुमक्खी पालन के 3 केंद्र चल रहे हैं। इसमें दो केंद्र लंबेडी व डंडेसर में चलाया जा रहा है। इससे कृषि विभाग प्रतिवर्ष करीब 15 से 20 क्विंटल शहद का उत्पादन का राजस्व जुटा रहा है। वही अधिक जानकारी में मधुमक्खी पालन का कारोबार कर सकते हैं। इसके साथ ही मधुमक्खी पालन की एक पेटी की लागत करीब 2690 रुपए है। जिसकी कुल लागत पर विभाग द्वारा 40% की सब्सिडी दी जाती है। यदि कोई भी किसान इस मधुमक्खी पालन का कारोबार करना चाहे तो वह विभाग से संपर्क कर सकता है।

सरकार करती है मदद

अगर आप हनी प्रोसेसिंग प्लांट लगाना चाहते हैं तो खादी ग्रामोद्योग उद्योग (KVIC) आपकी मदद करेगी। KVIC की ओर से आपको 65 फ़ीसदी लोन मिल जाएगा और आपको 25 फ़ीसदी सब्सिडरी भी मिलेगी यानी आपको केवल प्रोजेक्ट का 10 फ़ीसदी पैसा लगाना होगा। KVIC के अनुसार अगर आप 20 हजार किलोग्राम सलाना शहद उत्पादन करने का प्लांट लगाते हैं, तो इस पर करीब 24.50 लाख रुपए का खर्च आएगा। इस पर आपको करीब 16 लाख  रुपए का लोन मिलेगा। जबकि मार्जिन मनी के रूप में 6.15 लाख रुपए मिलेंगे और आपको अपनी ओर से केवल करीब 2.35 लाख रुपए लगाने होंगे।

योग्यता

मधुमक्खी पालन से संबंधित कई तरह के सर्टिफिकेट, डिप्लोमा अथवा डिग्री कोर्स किए जा सकते हैं। डिप्लोमा करने वाले अभ्यार्थी के लिए साइंस स्ट्रीम स्नातक होना जरूरी है। जबकि हॉबी कोर्स के लिए किसी विशेष योग्यता की जरूरत नहीं होती। प्रशिक्षण के लिए एक हफ्ते से लेकर 9 महीने तक का कोर्स उपलब्ध है। कम पढ़ा लिखा व्यक्ति जो इस व्यवसायमें दिलचस्पी रखता हो। वह भी प्रशिक्षण प्राप्त कर अपना व्यवसाय शुरू कर सकता है। प्रशिक्षण शुल्क फीस 500 से लेकर 4000 रुपए तक है।

ऐसे तैयार होता है शहद

एक बक्से में पांच से सात हजार मधुमक्खियां रहती है। इसमें एक रानी मधुमक्खी और कुछ ड्रोन नर मधुमक्खी वर्कर मधुमक्खियां रहती है। फूल के समय आमतौर पर जनवरी में फरवरी से मई तक खेतों में बगीचे व बगीचों में बक्से रखे जाते हैं। 3 किमी की रेंज में मधुमक्खियों फूलों से रस से लाकर बक्से के छत्ते में भर्ती है। 1 दिन में रानी मधुमक्खी पंद्रह सौ से 2 हजार अंडे देती है। वर्कर मधुमक्खियां अपने पंख से लाए रस को झेलते हुए पानी सुखाती है, और मधु तैयार होता है। मधुमक्खी पालन व्यवसाय बताते हैं कि लीची, केला, सरसों, वन तुलसी, धनिया, जामुन, सहजन, तार, चिकना, खेसारी के अलावा 90 फीसद जिन पौधों में फूल होता है। उससे शहद प्राप्त होता है।https://www.biharkhabre.com/top-business-idea-2021/

मधुमक्खी पालन व्यवसाय

मधुमक्खी के प्रकार

इस व्यवसाय के लिए 4 तरह की मधुमक्खियां इस्तेमाल होती है यह एपीस मेलीफेरा, एपीस इंडिका, एपीस डोरसाला और एपीस फ्लोरिया। इस व्यवसाय के लिए एपीस मेलीफेरा मक्खियां ही अधिक शहद उत्पादन करने वाली और स्वभाव की शांत होती है। इन्हें डिब्बो में आसानी से पाला जा सकता है। इस प्रजाति की रानी मक्खी में अंडे देने की क्षमता भी अधिक होती है।

मधुमक्खी पालन का जरूरी सामान

मधुमक्खी पालन के लिए लकड़ी का बॉक्स, बॉक्स फ्रेम, मुंह पर ढकने के लिए जालीदार कवर, दस्ताने, चाकू, शहद, रिमूविंग मशीन, शहद इकट्ठा करने के ड्रम का इंतजाम जरूरी है।

बचाव

जहां मधुमक्खियां पाली जाए उसके आसपास की जमीन साफ सुथरी होनी चाहिए। बड़े चीटे, मोमभाझी कीड़े, छिपकली, चूहे, गिरगिट तथा भालू मधुमक्खियों के दुश्मन है। इनसे बचाव के पूरे इंतजाम होनी चाहिए।

कितनी होगी कमाई

अगर आप सलाना 20 हजार किलोग्राम शहद का उत्पादन करते हैं। जिसकी कीमत ढाई सौ रुपए पर प्रति किलो है। इस में 4 फ़ीसदी वर्किंग लॉस को शामिल किया जाए तो सलाना 48 लाख रुपए की बिक्री होगी। इसमें से सभी खर्च जो करीब 34.15 लाख रुपए को घटा दिया जाए तो आपको साल भर में करीब 13.85 लाख रुपए की कमाई होगी। यानी आप हर महीने एक लाख रुपए से ज्यादा की कमाई कर सकते हैं।

युवाओं की बड़ी भूमिका

बिहार मधु उत्पादन में दूसरे स्थान पर आ गया है। इसके लिए युवाओं की बड़ी भूमिका है। मधुमक्खी पालन से फसल व फल उत्पादन में वृद्धि होती है। इससे लोगों की आय बढ़ती है। राज्य सरकार भी मधुमक्खी पालन के लिए लोगों को प्रशिक्षण दिला रही है।

 

By Biharkhabre Team

मेरा नाम शाईना है। मैं बिहार के भागलपुर कि रहने बाली हूं। मैंने भागलपुर से MBA की पढ़ाई कंप्लीट की हूं। मैं Reliance में कुछ समय काम करने के बाद मैंने अपना खुद का एक ब्लॉग बनाया। जिसका नाम बिहार खबरें हैं, और इस पर मैंने देश-दुनिया से जुड़े अलग-अलग विषय में लिखना शुरू किया। मैं प्रतिदिन देश दुनिया से जुड़े अलग-अलग जानकारी अपने Blog पर Publish करती हूं। मुझे देश दुनिया के बारे में नई नई जानकारी लिखना पसंद है।

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